लग जाने दो अाग मेरे शामियाने में,
क्या ही बचा है जो ख़ाक हो जाएगा?
दिल क्या दिल ही रह गया अब,
जो किसी झटके से टूट जाएगा?
घूमा मैं दर-ओ-दीवार इश्क़ की रौनक लेकर,
मेरा सफ़रनामा जलाकर,
कौन ही यहाँ मोहब्बत कर पाएगा?
रौंदकर मुझे कच्ची ईंटों से,
कौन ज़माने में बेवफ़ा न कहलाएगा?
जब उसे जिंदा रखने के लिए,
मैं ख़ुद में ही मर जाऊँगा
तब भी क्या ही कोई आकर,
मुझे कफ़न भी ओढ़ाएगा?
एक रात है ढलने आई मुझपर,
ख़ैर, साथ तो मेरे रहती है
कहने की ज़रूरत नहीं,
मेरी ख़ामोशी समझती है
दिन कोई ऐसा वफादार, क्या ही मेरा हो पाएगा?
एेसा नहीं बचा कोई समंदर,
जो मुझे इश्क़ में डुबो पाएगा..
क्या ही बचा है जो ख़ाक हो जाएगा?
दिल क्या दिल ही रह गया अब,
जो किसी झटके से टूट जाएगा?
घूमा मैं दर-ओ-दीवार इश्क़ की रौनक लेकर,
मेरा सफ़रनामा जलाकर,
कौन ही यहाँ मोहब्बत कर पाएगा?
रौंदकर मुझे कच्ची ईंटों से,
कौन ज़माने में बेवफ़ा न कहलाएगा?
जब उसे जिंदा रखने के लिए,
मैं ख़ुद में ही मर जाऊँगा
तब भी क्या ही कोई आकर,
मुझे कफ़न भी ओढ़ाएगा?
एक रात है ढलने आई मुझपर,
ख़ैर, साथ तो मेरे रहती है
कहने की ज़रूरत नहीं,
मेरी ख़ामोशी समझती है
दिन कोई ऐसा वफादार, क्या ही मेरा हो पाएगा?
एेसा नहीं बचा कोई समंदर,
जो मुझे इश्क़ में डुबो पाएगा..
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