1. जब खाली दामन भी भाए तो,
जवाहरातों की बात क्यों करें
ये रेगिस्तान हमने चुना है,
यहाँ रेश़म होने की चाह क्यों करें?
2. निज़ाम है अल्लाह का,
जानबख़्शी हो या मौत हो
क्या ही फर्क होगा,
मेरे ख़्वाजा की पनाह में..
3. क्या ख़ूब तुमने भी अपना किरदार निभाया था
हाथों में देकर जाम,
मोहब्बत का लतीफ़ा सुनाया था..
4. तुम तो क्या,
शराब भी वफ़ादार न रही
पी नहीं जाती,
जितनी पैमाने में छोड़ दिया करते थे..
No comments:
Post a Comment