1. शराब की बोतल सी है , ये ईमानदारी....
कोई छोड़ता नहीं ,कोई छूता तक नहीं ..!!
2. उसकी याद में खुद को कुछ इस तरह जला देता हूँ
आग से लिखता हूँ नाम उसका और आंसुओं से बुझा देता हूँ..
3. मैं तेरा मुंतज़िर हूँ मुस्कुरा के मिल
कब तक तुझे तलाश करूँ अब आ के मिल
यूं मिल के फिर जुदाई का लम्हा न आ सके
जो दरमियाँ में है सभी कुछ मिटा के मिल..
4. जब तक रास्ते समझ में आते है,
तब तक लौटने का वक़्त हो जाता है....
यही जिंदगी है।
कोई छोड़ता नहीं ,कोई छूता तक नहीं ..!!
2. उसकी याद में खुद को कुछ इस तरह जला देता हूँ
आग से लिखता हूँ नाम उसका और आंसुओं से बुझा देता हूँ..
3. मैं तेरा मुंतज़िर हूँ मुस्कुरा के मिल
कब तक तुझे तलाश करूँ अब आ के मिल
यूं मिल के फिर जुदाई का लम्हा न आ सके
जो दरमियाँ में है सभी कुछ मिटा के मिल..
4. जब तक रास्ते समझ में आते है,
तब तक लौटने का वक़्त हो जाता है....
यही जिंदगी है।
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