क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा
कुछ दिन हैं रवि को प्राप्त हुए
कुछ मुझे, कुछ तुम्हें, कुछ इस जीवन को
क्या गान करेगी कोयल फिर,
देख सर्व मृतप्राय हुए
क्या रह जाएगा सब कुछ यूँ ही
नीरव, यूँ निश्वास पड़ा?
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
होगा जब वो चंद्र-क्षय,
चंद दिवस नहीं, शाश्वतता को
क्या सह पाएगा भार कोई,
असीम सिन्धु के क्रन्दन का
क्या कह सकेगा तब वसन्त,
पुलकित, निर्दोष, नव-कुसुमों को?
होगा सब कुछ मिट्टी का,
मिट्टी होकर मिट्टी की भेंट चढ़ा
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
उषा, क्या तुम तब भी,
वधू-सज्जा कर प्रतिदिन आओगी?
न होगी जब कोई आँख बची,
अपलक, करती तुम्हारी प्रतीक्षा,
क्या रख पाओगी तुम मन में,
निज-श्रृंगार, अलंकार की इच्छा?
तब रजनी क्या तुम प्रायः आकर,
तारों को नभ में छिटकाकर
उस पार मुझे बहलाओगी?
क्या होगा तब भी अनादि ब्रम्हाण्ड में,
आविर्भाव, अंत की ओर बढ़ा?
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
हो जाएगा इतिहास सभी,
शायद फिर जाना भी न जाएगा
होकर सब कुछ मात्र छवि
मेरे साथ ही शून्य हो जाएगा
प्रेम कहो, या कोलाहल
वह था, ज्ञात किसे हो पाएगा?
न जाने परिवर्तन-विधान में,
जीवन फिर कब आहट करता आएगा?
क्या उन शेष क्षणों को मानव में,
लेश मानवता का रह जाएगा
कहकर मृत्यु को तथ्य, यह ज्ञानी
उसे सप्रेम ग्रहण कर पाएगा?
कैसे हो सकेगा मुक्त,
बन निज-बंधक, यूँ मूढ़ अड़ा
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
नश्वर = transitory
चर = moving
प्राणी = organism
मूक = silent
रवि = The sun
सर्व = all
नीरव = monotonous
निश्वास = breathless
च्रंद-क्षय = The reduction in moon's size
चंद = some
दिवस = days
शाश्वतता = eternity
असीम = unending
सिन्धु = ocean
क्रन्दन = cry
पुलकित = happy
निर्दोष = innocent
कुसुम = flower
भेंट = offering
उषा = morning
वधू-सज्जा = bridal ornamentation
प्रतीक्षा = wait
निज = personal
श्रृंगार, अलंकार = embellishment
रजनी = night
नभ = sky
अनादि = unending
ब्रह्माण्ड = universe
आविर्भाव = birth
इतिहास = history
मात्र = only
छवि = reflection, memory
शून्य = zero, nothing
कोलाहल = chaos
ज्ञात = known
परिवतर्न-विधान = The law of change
शेष = left
क्षण = moment
लेश = fragment
तथ्य = fact
ज्ञानी = wise
ग्रहण = accept
निज-बंधक = self-restrainer
मूढ़ = stupid
चर प्राणी, बस मूक खड़ा
कुछ दिन हैं रवि को प्राप्त हुए
कुछ मुझे, कुछ तुम्हें, कुछ इस जीवन को
क्या गान करेगी कोयल फिर,
देख सर्व मृतप्राय हुए
क्या रह जाएगा सब कुछ यूँ ही
नीरव, यूँ निश्वास पड़ा?
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
होगा जब वो चंद्र-क्षय,
चंद दिवस नहीं, शाश्वतता को
क्या सह पाएगा भार कोई,
असीम सिन्धु के क्रन्दन का
क्या कह सकेगा तब वसन्त,
पुलकित, निर्दोष, नव-कुसुमों को?
होगा सब कुछ मिट्टी का,
मिट्टी होकर मिट्टी की भेंट चढ़ा
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
उषा, क्या तुम तब भी,
वधू-सज्जा कर प्रतिदिन आओगी?
न होगी जब कोई आँख बची,
अपलक, करती तुम्हारी प्रतीक्षा,
क्या रख पाओगी तुम मन में,
निज-श्रृंगार, अलंकार की इच्छा?
तब रजनी क्या तुम प्रायः आकर,
तारों को नभ में छिटकाकर
उस पार मुझे बहलाओगी?
क्या होगा तब भी अनादि ब्रम्हाण्ड में,
आविर्भाव, अंत की ओर बढ़ा?
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
हो जाएगा इतिहास सभी,
शायद फिर जाना भी न जाएगा
होकर सब कुछ मात्र छवि
मेरे साथ ही शून्य हो जाएगा
प्रेम कहो, या कोलाहल
वह था, ज्ञात किसे हो पाएगा?
न जाने परिवर्तन-विधान में,
जीवन फिर कब आहट करता आएगा?
क्या उन शेष क्षणों को मानव में,
लेश मानवता का रह जाएगा
कहकर मृत्यु को तथ्य, यह ज्ञानी
उसे सप्रेम ग्रहण कर पाएगा?
कैसे हो सकेगा मुक्त,
बन निज-बंधक, यूँ मूढ़ अड़ा
क्या हूँ मैं इस नश्वर जग में,
चर प्राणी, बस मूक खड़ा ।
नश्वर = transitory
चर = moving
प्राणी = organism
मूक = silent
रवि = The sun
सर्व = all
नीरव = monotonous
निश्वास = breathless
च्रंद-क्षय = The reduction in moon's size
चंद = some
दिवस = days
शाश्वतता = eternity
असीम = unending
सिन्धु = ocean
क्रन्दन = cry
पुलकित = happy
निर्दोष = innocent
कुसुम = flower
भेंट = offering
उषा = morning
वधू-सज्जा = bridal ornamentation
प्रतीक्षा = wait
निज = personal
श्रृंगार, अलंकार = embellishment
रजनी = night
नभ = sky
अनादि = unending
ब्रह्माण्ड = universe
आविर्भाव = birth
इतिहास = history
मात्र = only
छवि = reflection, memory
शून्य = zero, nothing
कोलाहल = chaos
ज्ञात = known
परिवतर्न-विधान = The law of change
शेष = left
क्षण = moment
लेश = fragment
तथ्य = fact
ज्ञानी = wise
ग्रहण = accept
निज-बंधक = self-restrainer
मूढ़ = stupid
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